जावेद अख्तर की शायरी | 50 Best Javed Akhtar Shayari Quotes Poetry in Hindi
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#1 - Top 10 Javed Akhtar Shayari in Hindi
चार लफ़्ज़ों में कहो जो भी कहो
उसको कब फ़ुरसत सुने फ़रियाद सब
शहर के हाकिम का ये फ़रमान है
क़ैद में कहलायेंगे आज़ाद सब
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग
जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग
सब को दावा-ए-वफ़ा सबको यक़ीं
इस अदकारी में हैं उस्ताद सब
चाँद यादों के दिये थोड़ी तमन्ना कुछ ख्वाब ,
ज़िन्दगी तुझ से ज़्यादा नहीं माँगा हम नैय…
#2 - Javed Akhtar Quotes in Hindi
छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए.
भूलके सब रंजिशें सब एक हैं
मैं बताऊँ सबको होगा याद सब.
उस से मैं कुछ पा सकू ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी शायद बराए मेहरबानी दे गया
सब की ख़ातिर हैं यहाँ सब अजनबी
और कहने को हैं घर आबाद सब
हर खुशी में कोई कमी-सी है
हंसती आंखों में भी नमी-सी है
#3 - Javed Akhtar Poetry in Hindi
ये तसल्ली है कि हैं नाशाद सब
मैं अकेला ही नहीं बरबाद सब
बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी
ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया
हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है…
हम हैं मुसाफ़िर ऐसे जो मंज़िल से आए हैं…
ज़हन की शाख़ों पर अशआर आ जाते हैं
जब तेरी यादों का मौसम होता है,
एक ये दिन जब अपनों ने भी हम से नाता तोड़ लिया,
एक वह दिन जब पेड़ की शाखें बोझ हमरा सहती थी
#4 - Javed Akhtar Shayari On Love
ग़ैरों को कब फ़ुरसत है दुख देने की
जब होता है कोई हमदम होता है
-
“याद उसे भी एक अधूरा अफ़साना तोह होगा,
कल रास्ते में उसने हमको पेहचाना तोह होगा.”
ज़ख़्म तो हमने इन आँखों से देखे हैं
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है ,
हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है…
हम हैं मुसाफ़िर ऐसे जो मंज़िल से आए हैं…
ढलता सूरज फैला जंगल रस्ता गुम
हमसे पूछो कैसा आलम होता है
#5 - Javed Akhtar Shayari On Life
सच ये है बेकार हमें ग़म होता है
जो चाहा था दुनिया में कम होता है
-
तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे
अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है
उसके बंदों को देखकर कहिये
हमको उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे
जब आईना तो देखो इक अजनबी देखो
कहां पे लाई है तुमको ये ज़िंदगी देखो
-
ज़हनो-दिल आज भूखे मरते हैं
उन दिनों हमने फ़ाक़े झेले थे
#6 - Javed Akhtar Shayari in English
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराएंगे ऐसी कहानी दे गया
-
ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी
वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है
-
ख़ुदकुशी क्या दुःखों का हल बनती
मौत के अपने सौ झमेले थे
सँवरना ही है तो किसी की नजरों में संवरिये,
आईने में खुद का मिजाज नहीं पूछा करते
-
इक तरफ़ मोर्चे थे पलकों के
इक तरफ़ आँसुओं के रेले थे
#7 - Javed Akhtar Shayari Book
बहुत आसान है पहचान इसकी
अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है
-
थीं सजी हसरतें दूकानों पर
ज़िन्दगी के अजीब मेले थे
-
हम तो बचपन में भी अकेले थे
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे
जो भी मैंने काम किया है वो मेने दिल के करीब से ही किया है।
जो काम मेरे दिल के करीब नहीं था, उसको मैंने कभी किया ही नहीं
-
“मैं भूल जाऊं अब यही मुनासिब है,मगर भुलाना भी चाहूं तोह किस तरह भुलाऊँ,
की तुम तोह फिर भी हकीकत हो, कोई ख्वाब नहीं.”
#8 - Javed Akhtar Shayari On Dosti
आप भी आए, हम को भी बुलाते रहिए
दोस्ती ज़ुर्म नहीं, दोस्त बनाते रहिए
-
सँवरना ही है तो किसी की नजरों में संवरिये,
आईने में खुद का मिजाज नहीं पूछा करते
-
ख़ून से सींची है मैं ने जो ज़मीं मर मर के
वो ज़मीं एक सितम-गर ने कहा उस की है
एक ये घर जिस घर में मेरा साज़-ओ-सामाँ रहता है
एक वो घर जिस घर में मेरी बूढ़ी नानी रहती थीं
-
अगर दुसरो के जोर पर उड़कर दिखाओगे
तो अपने पैरो से उड़ने की हुनर भूल जाओगे
#9 - Javed Akhtar Shayari 2 Lines
मुझ को यकीं है सच कहती थी जो भी अम्मी कहती थी,
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थी.
-
किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी, इतनी कसैली बात लिखूं
शेर की मैं तहज़ीब निभाऊं या अपने हालात लिखूं
-
कोई शिकवा न ग़म न कोई याद
बैठे बैठे बस आँख भर आई
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया
-
एक ये दिन जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का
एक वो दिन जब एक ज़रा सी बात पे नदियाँ बहती थीं
#10 - जावेद अख़्तर की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर
एक ये दिन जब ज़हन में सारी अय्यारी की बातें हैं
एक वो दिन जब दिल में भोली-भाली बातें रहती थीं
-
दर्द अपनाता है पराए कौन
कौन सुनता है और सुनाए कौन
कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुख झेले आज़माए कौन
-
खो गयी है मंजिले, मिट गए है सारे रस्ते,
सिर्फ गर्दिशे ही गर्दिशे, अब है मेरे वास्ते..
काश उसे चाहने का अरमान न होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान न होता
क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए
इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए
ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गए
पाया तुम्हें तो हमको लगा तुमको खो दिया
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया
पलकों से ख़्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए
-
आप भी आइए हमको भी बुलाते रहिए
दोस्ती ज़ुर्म नहीं दोस्त बनाते रहिए।
ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।
वक्त ने लूट लीं लोगों की तमन्नाएँ भी,
ख़्वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।
शक्ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई,
कभी बन जाएगी तसवीर बनाते रहिए।
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