ज़ाकिर खान की शायरी | 50 Best Zakir Khan Shayari Quotes Poetry in Hindi
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#1 - Top 10 Zakir Khan Shayari in Hindi
इश्क़ को मासूम रहने दो नोटबुक के आख़री पन्ने पर
आप उसे किताबों म डाल कर मुस्किल ना कीजिए
कामयाबी तेरे लिए हमने खुद को कुछ यूं तैयार कर लिया;
मैंने हर जज़्बात बाजार में रख कर एश्तेहार कर लिया !
ये तो परिंदों की मासूमियत है;
वरना दूसरों के घर अब आता जाता कौन हैं!
मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत;
तेरा ज़िक्र ही कहां था ; मेरी दास्तान से पहले!
एकतरफा प्यार की खूबसूरती ये है
कि आप हर दिन जीतते हो और हर दिन हारते हो
#2 - Zakir Khan Quotes in Hindi
हर एक कॉपी के पीछे कुछ ख़ास लिखा है ;
बस इस तरह मेरे इश्क का इतिहास लिखा है
तू दुनिया में चाहे जहाँ भी रहे ;
अपनी डायरी में मैंने तुझे पास लिखा है
दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया
इम्तेहान ए इश्क का मैंने खूब रिवीज़न कर लिया ;
उसकी याद भी समझ ली ;उसे भूल के भी देख लिया
ये सब कुछ जो भूल गयी थी तुम या शायद जानकर छोड़ा था तुमने ;
अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर है मैंने सब ;जब आओगी तो ले जाना
वो कौन है भाई इस बात का सबसे बड़ा हिस्सा
इस बात का होता है कि वो कहाँ से आया है
#3 - Zakir Khan Poetry in Hindi
अगर तू मेरे पीछे रहेगा; तो मैं जिंदगी में; दुनिया में
कहीं नहीं गिर सकता; ये तो फिर भी रोड है
कोई हक़ से हाँथ पकड़ कर दोबारा नहीं बैठाता ;
सितारों के बीच से सूरज बनने के कुछ अपने ही नुक्सान हुआ करते हैं
दोस्ती आईनो से कभी लम्बी नहीं चलती ;
इतनी ईमानदारी भी रिश्तों के लिए अच्छी नहीं होती
वो अगर हज़ार बार जुल्फें ना संवारे
तो उसका गुजारा नहीं होता
वैसे दिल बहुत साफ है उसका
इन हरकतों का कोई इशारा नहीं होता
ज़मीन पर आ गिरे जब आसमां से ख़्वाब मेरे
ज़मीन ने पूछा क्या बनने की कोशिश कर रहे थे!
#4 - जाकिर खान कविता
मेरी औकात मेरे सपनों से इतनी बार हारी हैं के
अब उसने बीच में बोलना ही बंद कर दिया है!
-
माना की तुमको इश्क़ का तजुर्बा भी कम नहीं;
हमने भी बाग़ में हैं कई तितलियाँ उड़ाई*
गिरते हैं से सबेरे मैदान जंग में
वो टाफिले क्यों गिरेंगे जो घटना की वेल चले
अगर अपने कोशिश ही नहीं की तो क्या फेलियर और क्या सक्सेस
कुछ इस तरह तेरे मेरे रिश्ते ने आखिरी सांस ले
न मैंने पलट कर देखा
न तुमने आवाज़ दी
#5 - जाकिर खान की इश्क पर कविता
यह तो भूले है की लोग
हमें पहले ही बहुत से
प्र तुम जितना उसने से
कोई यद् नहीं आया
-
बतादेना सब्को की में मतलबी बड़ा था
हर बड़े मकाम में तनहा ही खड़ा था
मेरा सब बुरा भी कहना; अच्छे भी कहना
में जब दुनिआ से जाऊं तो मेरी दास्ताँ भी सुनना
बस का इंतज़ार करते हुए मेट्रो में खड़े खड़े
रिक्शा में बैठे हुए गैरिसन में क्या देखते रहते हो
घूम सा चेहरा लेकर क्या सोचते रहते हो
क्या खोया क्या पाया हिसाब नहीं लगा पाये इस बार भी
घर नहीं जा पाये न इस बार भी
बहत अच्छे से पता हे की कोनसा दोस्त हे कोनसा दोस्त नही हे
क्यों की एषा हे की हम भी किसीका दोस्त हे
-
झूठे हैं वो लोग
वो जो बोलते हैं की आदमी रो नहीं सकता पूछने वाला चाहिए
#6 - जाकिर खान शायरी हिंदी 2 लाइन
हम की एक पीढ़ी हैं
टूटे दिल और टूटे हुए लोग
-
अंगारो में लिपटी रही रूह मेरी
मैं इस तरह आग न होता जो हो जाती तू मेरी
-
मेरा 2-4 ख्वाब हे जो में आसमान से दूर चाहतहु
जिंदगी चाहे गुमनाम रहे मोइत में मसहूर चाहतहु
बड़ी कश्मकश में है ये जिंदगी की;
तेरा मिलना मिलना इश्क़ था या फरेब!
-
तुझे खोने का खौफ जबसे निकला है बाहर;
तुझे पाने की जिद भी टिक न सकी दिल में
#7 - जाकिर खान की प्यार पर कविता
कितनी पामाल उमंगों का है मदफ़न मत पूछ
वो तबस्सुम जो हक़ीक़त में फ़ुग़ाँ होता है
-
रफ़ीक़ों से रक़ीब अच्छे जो जल कर नाम लेते हैं
गुलों से ख़ार बेहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं
-
मार डाला मुस्कुरा कर नाज़ से
हाँ मिरी जाँ फिर उसी अंदाज़ से
मैं भी हैरान हूँ ऐ ‘दाग़’ कि ये बात है क्या
वादा वो करते हैं आता है तबस्सुम मुझ को
-
यू तो भूले हैं हमे; कई लोग पहले भी बहोत से
पर तुम जितना उनमे से; कभी कोई याद नही आया
#8 - जाकिर खान की कविता हिंदी में
अब वो आग नहीं रही; न शोलो जैसा दहकता हूँ;
रंग भी सब के जैसा है; सबसे ही तो महेकता हूँ🤐
एक आरसे से हूँ थामे कश्ती को भवर में;
तूफ़ान से भी ज्यादा साहिल से डरता हूँ🤐
-
अब कोई हक़ से हाथ पकड़कर महफ़िल में दोबारा नहीं बैठाता;
सितारों के बीच से सूरज बनने के कुछ अपने ही नुकसान हुआ करते है🙂
-
यूँ तो भूले है हमे लोग कई;
पहले भी बहुत से
पर तुम जितना कोई उनमे से याद नहीं आया
अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ में;
ज़िन्दगी ; कितने धीरे चला हूँ मैं🤐
और मुझे जगाने जो और भी हसीं होकर आते थे;
उन् ख़्वाबों को सच समझकर सोया रहा हूँ मैं🤐l
-
ये सब कुछ जो भूल गयी थी तुम;
या शायद जान कर छोड़ा था तुमने;
अपनी जान से भी ज्यादा;
संभाल रखा है मैंने सब;
जब आओग तो ले जाना🙂
#9 - Zakir Khan Shayari On Love
मेरी जमीन तुमसे गहरी रही है;
वक़्त आने दो; आसमान भी तुमसे ऊंचा रहेगा!
-
अब वो आग नहीं रही; न शोलो जैसा दहकता हूँ;
रंग भी सब के जैसा है; सबसे ही तो महेकता हूँ🤐
एक आरसे से हूँ थामे कश्ती को भवर में;
तूफ़ान से भी ज्यादा साहिल से डरता हूँ🤐
-
जिंदगी से कुछ ज्यादा नहीं;
बस इतनी से फरमाइश है;
अब तस्वीर से नहीं;
तफ्सील से मलने क ख्वाइश है*
बस का इंतज़ार करते हुए; मेट्रो में खड़े खड़े
रिक्शा में बैठे हुए गहरे शुन्य में क्या देखते रहते हो?
गुम्म सा चेहरा लिए क्या सोचते हो?
क्या खोया और क्या पाया का हिसाब नहीं लगा पाए न इस बार भी?
घर नहीं जा पाए न इस बार भी
-
हम दोनों में बस इतना सा फर्क है;
उसके सब “लेकिन” मेरे नाम से शुरू होते है
और मेरे सारे “काश” उस पर आ कर रुकते है
#10 - Zakir Khan Shayari On Life
उसे मैं क्या; मेरा खुमार भी मिले तो बेरहमी से तोड़ देती है;
वो ख्वाब में आती है मेरे; फिर आकर मुझे छोड़ देती है
-
तेरी बेवफाई के अंगारो में लिपटी रही हे रूह मेरी;
मैं इस तरह आज न होता जो हो जाती तू मेरी🙂
एक सांस से दहक जाता है शोला दिल का
शायद हवाओ में फैली है खुशबू तेरी
-
ये कुछ सवाल हैं जो सिर्फ क़यामत के रोज़
पूँछूगा तुमसे क्योंकि उसके पहले
तुम्हारी और मेरी बात हो सके
इस लायक नहीं हो तुम
मैं शून्य पे सवार हूँ बेअदब सा मैं खुमार हूँ
अब मुश्किलों से क्या डरूं मैं खुद कहर हज़ार हूँ
मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ
-
भावनाएं मर चुकीं संवेदनाएं खत्म हैं
अब दर्द से क्या डरूं ज़िन्दगी ही ज़ख्म है
मैं बीच रह की मात हूँ बेजान-स्याह रात हूँ
मैं काली का श्रृंगार हूँ मैं शून्य पे सवार हू
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