कुमार विश्वास की शायरी | 50 Best Kumar Vishwas Shayari Quotes Poetry in Hindi

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#1 - Top 10 Kumar Vishwas Shayari in Hindi


याद उसे इंतिहाई करते हैं

सो हम उस की बुराई करते हैं



सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर

अब किसे रात भर जगाती है


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हमला है चार सू दर-ओ-दीवार-ए-शहर का

सब जंगलों को शहर के अंदर समेट लो



हम ने क्यूँ ख़ुद पे ए’तिबार किया

सख़्त बे-ए’तिबार थे हम तो


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हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए हैं

कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं


#2 - Kumar Vishwas Shayari in Hindi Lyrics


हम को यारों ने याद भी न रखा

‘जौन’ यारों के यार थे हम तो



हम को हरगिज़ नहीं ख़ुदा मंज़ूर

या’नी हम बे-तरह ख़ुदा के हैं


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मेहफिल-महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है,

खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है

उनकी आँखों से होकर दिल जाना.

रस्ते में ये मैखाना तो पड़ता है..



हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,

यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !

वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,

तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है…!!


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जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा

हास्य बातो या जज़्बातो मुलाकातों का हंगामा

जवानी के क़यामत दौर में ये सोचते है सब

ये हंगामे की राते है या है रातो का हंगामा


#3 - कुमार विश्वास शायरी हिंदी Pdf


गाँव-गाँव गाता फिरता हूँ, खुद में मगर बिन गाय हूँ,

तुमने बाँध लिया होता तो खुद में सिमट गया होता मैं,

तुमने छोड़ दिया है तो कितनी दूर निकल आया हूँ मैं…!!

कट न पायी किसी से चाल मेरी, लोग देने लगे मिसाल मेरी…!

मेरे जुम्लूं से काम लेते हैं वो, बंद है जिनसे बोलचाल मेरी…!!



आँखें की छत पे टहलते रहे काले साये,

कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया…!

कितनी दिवाली गयी, कितने दशहरे बीते,

इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया…!!


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हमें बेहोश कर साकी , पिला भी कुछ नहीं हमको

कर्म भी कुछ नहीं हमको , सिला भी कुछ नहीं हमको

मोहब्बत ने दे दिआ है सब , मोहब्बत ने ले लिया है सब

मिला कुछ भी नहीं हमको , गिला भी कुछ नहीं हमको !!



कितनी दुनिया है मुझे ज़िन्दगी देने वाली

और एक ख्वाब है तेरा की जो मर जाता है

खुद को तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँ

मेरी मिट्टी में जो तू है की बिखर जाता है


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कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा

गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा

नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर

मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.


#4 - कुमार विश्वास की कविता


उम्मीदों का फटा पैरहन,

रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,

तुम से मिलने की कोशिश में,

किस-किस से मिलना पड़ता है


-


चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,

खुद को पर बेक़रार मत करना ,

आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?

हम न कहते थे प्यार मत करना…!!


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वो जो खुद में से कम निकलतें हैं

उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं

आप में कौन-कौन रहता है

हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।



हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है

और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है

मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल

भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।


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स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी

बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी

बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी

अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी


#5 - कुमार विश्वास शायरी हिंदी Desh Bhakti


ये दिल बर्बाद करके सो में क्यों आबाद रहते हो

कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो

ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला

मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो !!


-


सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता

खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता

फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो

फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।


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सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है

भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है

बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा

जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है



मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है

मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है

सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से

मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है


-


हिम्मत ऐ दुआ बढ़ जाती है

हम चिरागों की इन हवाओ से

कोई तो जाके बता दे उसको

दर्द बढ़ता है अब दुआओं से


#6 - कुमार विश्वास की गजलें


घर भर चाहे छोड़े

सूरज भी मुँह मोड़े

विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े

माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे

पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है

जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है

पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है


-


नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है

मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है

कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों

सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।


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मैं अपने गीतों और ग़ज़लों से उसे पेगाम करता हु

उसकी दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ

हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना

वो अपना काम करती है, में अपना काम करता हूँ



राजवंश रूठे तो

राजमुकुट टूटे तो

सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो

आशा मत हार, पार सागर के एक बार

पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है

पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है


-


कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता

अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता

करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है

मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।


#7 - कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी


तूफ़ानी लहरें हों

अम्बर के पहरे हों

पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों

सागर के माँझी मत मन को तू हारना

जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है

पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है !!


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अपनों के अवरोध मिले, हर वक्त रवानी वही रही

साँसो में तुफानों की रफ़्तार पुरानी वही रही

लाख सिखाया दुनिया ने, हमको भी कारोबार मगर

धोखे खाते रहे और मन की नादानी वही रही…!!


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मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं

कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं

बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे

जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..



पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना

जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना

मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है

हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।


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जो किए ही नहीं कभी मैंने ,

वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.

मुझसे फिर बात कर रही है वो,

फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !!


#8 - कुमार विश्वास दोस्ती शायरी


मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया

अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया

तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है

मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया


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एक दो दिन मे वो इकरार कहाँ आएगा ,

हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा ,

आज जो बांधा है इन में तो बहल जायेंगे ,

रोज इन बाहों का त्योहार कहाँ आएगा…!!


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हर ओर शिवम-सत्यम-सुन्दर ,

हर दिशा-दिशा मे हर हर है

जड़-चेतन मे अभिव्यक्त सतत ,

कंकर-कंकर मे शंकर है…”



उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती

हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती

शाएरी को नज़र नहीं मिलती

मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती

रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ

मगर नहीं मिलती

लोग कहते हैं रूह बिकती है

मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||


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गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,

हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,

हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,

किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.


#9 - Kumar Vishwas Quotes in Hindi


वो सब रंग बेरंग हैं जो ढूंढते व्यापार होली में,

विजेता हैं जिन्हें स्वीकार हर हार होली में,

मैं मंदिर से निकल आऊँ तुम मस्जिद से निकल आना,

तो मिलकर हम लगाएंगे गुलाल-ए-प्यार होली में


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इन उम्र से लम्बी सड़को को, मंज़िल पे पहुंचते देखा नहीं,

बस दोड़ती फिरती रहती हैं, हम ने तो ठहरते देखा नहीं..!!


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प्रथम पद पर वतन न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते

किसी शव पर कफ़न न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते

भले सत्ता को कोई भी सलामी दे न दे लेकिन

शहीदों को नमन न हो तो हम चुप रह नहीं सकते



तुमने अपने होठों से जब छुई थीं ये पलकें !

नींद के नसीबों में ख्वा़ब लौट आया था !!

रंग ढूँढने निकले लोग जब कबीले के !

तितलियों ने मीलों तक रास्ता दिखाया था !!


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हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते

मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते

जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो

जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते


#10 - Kumar Vishwas Poetry in Hindi


रंग दुनियाने दिखाया है निराला, देखूँ

है अंधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ

आईना रख दे मेरे सामने, आखिर मैं भी

कैसा लगता हूँ तेरा चाहने वाला देखूँ !!


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तुम अगर नहीं आयी गीत गा न पाउगा

सांस साथ छोड़ेगी, सुर सजा न पाउगा

तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है

बांसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है


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गम में हूँ य़ा हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं

खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं

मैं तुझको चाहता हूँ मगर माँगता नहीं

मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं”



हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है

नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है

तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ

समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है


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मिलते रहिए, कि मिलते रहने से

मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं.


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