नशे पर शायरी | 299+ Nasha Shayari in Hindi 2023
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#1 - Top Nasha Shayari in Hindi
जबसे उनसे मिले हैं हम सच में उस दिन से उनके प्यार के नशे में जी रहे है हम।
तेरा नशा मुझे कुछ इस कदर चढ़ा हैं की ना तो मुझे दिन का होश और ना ही रात का पता।
तेरे हुस्न का नशा मुझ पर चढ़ने लगा है, लगता हैं की मुझे तुझसे इश्क़ होने लगा है।
तेरी बेरुखी से हम इतना परेशा हो गए है की ना चाहते हुए भी जाम पे जाम पी रहे है।
कुछ नशा तो आपकी बात का है कुछ नशा तो धीमी बरसात का है हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है।
#2 - Nasha Shayari in Hindi For Girlfriend
उनके साथ रहने का नशा नशा मुझे कुछ इस कदर चढ़ा है की बिन उनके एक पल भी मेरा जीना मुश्किल हो जाता है।
तन्हाईयों के आलम की ना बात करो जनाब नहीं तो फिर बन उठेगा जाम और बदनाम होगी शराब।
बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा
आज कल देखूं मैं जहां कहीं वो हर कहीं मुझे दिखने लगा है लगता है नशा उस मनचले दिलबर का अब मेरे बांवरे मन पर भी चढ़ने लगा है।
लगता है खुदा की रहमत को वो बेरहम भी समझने लगा है नशा ही कुछ ऐसा है मेरे खुदा की बरकत का।
#3 - तेरा नशा शायरी
खुदा की इनायत से कुछ बेखबर सा था मैं नशे से ऐसे घिरा था मैं कि लोगों के लिए हर रोज एक ताजा खबर सा था मैं।
कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है।
नशा था उनके प्यार का जिसमे हम खो गये उन्हें भी नहीं पता चला कि कब हम उनके हो गये।
लोग करते है चरस गांजे का नशा और हम बस करते हैं तेरी यादो का नशा।
कुछ तो शराफत सीख ले ऐ इश्क़ शराब से बोतल पे लिखा तो होता है मैं जानलेवा हूँ।
#4 - दोस्ती का नशा शायरी
बेझिझक मुस्कुराये जो भी गम है जिंदगी में टेंशन किसको कम है अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है जिंदगी का नाम ही कभी ख़ुशी कभी गम है।
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मयखाने में अब हर मर्ज की कहां दवा हुआ करती है संभल जाया करते है हम खुद-ब-खुद नशे में भी जब भी दिल-ए-महफ़िल में उस सितमगर की बात हुआ करती है।
नशा होता कहां है मेरे जहन में चंद कागज़ के टुकड़ों का बस उस दिलबर की कातिल नजरों से ही हम अक्सर बहक जाया करते हैं।
नशा मोहब्बत का हो या शराब का होश दोनों में खो जाता है फर्क सिर्फ इतना है शराब सुला देती है और मोहब्बत रुला देती है।
मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती मैं जवाब बनता अगर तू सबाल होती सब जानते है मैं नशा नही करता मगर में भी पी लेता अगर तू शराब होती।
#5 - आँखों में नशा शायरी
अंदाज-ए-बयां में इनके भी गजब का नशा है तन्हाई से कभी दिल लगा के तो देखिये
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नशा पिला के गिराना तो सब को आता है मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी।
क्या नशा है इश्क आज तक समझ ना पाये हम उन नशीली आँखों में कहीं हो ना जाऐं गुम युँ तो इश्क समझ नहीं आता ना जाने क्या बला थी ये कि जुदा होने पे उनकी ये आँखे हो गई है नम।
लत तेरी ही लगी है नशा सरेआम होगा हर लम्हा मेरी दुश्मनी का सिर्फ तेरे नाम होगा।
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तेरे दीदार का नशा भी अजीब हैं तू ना दिखे तो दिल तड़पता हैं और तू दिखे हैं तो नशा और चढ़ता हैं।
#6 - इश्क का नशा शायरी
पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर जलील बादल का रंग देख के नीयत बदल गई।
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इक नशा इक शौक महज इक बिमारी लग गयी भूल कर सारी दुनियां मुझको कलम प्यारी लग गयी
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न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है।
ग़म इस कदर मिला कि घबरा के पी गए ख़ुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गए यूँ तो ना थे जन्म से पीने की आदत शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए
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नशा-ए-मय के सिवा कितने नशे और भी हैं मेहबूब की आंखें महखाने से कम थोड़े हैं
#7 - सत्ता का नशा शायरी
ज़रुरत नहीं हमे जनाब शराब की, नशा चढाने को काफी है आँखें आपकी।
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पूछते है दोस्त क्यों छोड़ दी शराब, वो जानते ही नहीं मैं तेरे नशे में हूँ।
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हदें मत बयां कर हद से आगे बढ़ने दे, ऐ साकी मुझे तेरे होंठों से पीने दे।
नशें मेरे नस में बहने दे अब, इस कस की कश्मकश में रहने दे।
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तेरी लत खराब है शराब से भी, दर्द उठता है इस दिल में तेरी एक याद से भी।
#8 - नशे की लत पर शायरी
तुझ पर फतह फतह करने की फितूर में हूँ, मैं तो शुरू से ही सुरूर में हूँ।
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तड़प जाते है तेरी एक झलक के लिए, सिर्फ शराब ज़रूरी नहीं है नशा-ऐ-तलब के लिए।
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तेरे नज़दीक आने की ख्वाहिश में अलग हूँ सबसे, ये मौत बेहतर है सनम तेरी तलब से।
उसने इतने अदब से शराब पेश की आगे मेरे, की ऐसा लगा फिर की बिना पाई मेरी आँखों के आगे नशा आ गया।
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पैर लड़खड़ाते थे जब शराब के नशे में रहते थे हम , अब जुबां लड़खड़ाने लगी है जब से तेरी लत लगी है।
#9 - मोहब्बत का नशा शायरी
कहते हैं नशा खराब होता है लगता है उनकी जुबां ने कभी तुझे नहीं देखा।
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शराब और तुम एक सी ही हो, शराब गले स्वे उतर कर चढ़ती है और तुम नज़रों से उतर कर
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तेरे दिल से निकलने के बाद फिर ताउम्र मैं नशे में रहा।
कहते हैं नशा तबाह करता है मैं पूछता हूँ तूने कौनसा मेरी ज़िन्दगी संवार दी।
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नशे में तो सभी है कोई पैसों के नशे में तो कोई शराब के।
#10 - हुस्न का नशा शायरी
मैं शराब पीता हूँ इसमें बुरा क्या है, ये दुनिया अच्छी है मैंने सुना मगर इस दुनिया में अच्छा क्या।
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तेरा नशा भी गरीब के सर पर चढ़े उधार सा है, लाख मुद्दतों के बाद भी उतरता ही नहीं।
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नषे में रहो या मोहोब्बत में लोग गलत ही समझेंगे।
मज़े में हूँ नशे में नहीं, आगे हूँ अब मैं किसी के पीछे नहीं।
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ये समां सुन्दर सा आ नहीं रहा समझ में, जब से देखा है तुझको तब से हूँ तेरी तलब में।
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