गरीबी पर शायरी | 299+ Garibi Shayari in Hindi 2023
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#1 - Top Garibi Shayari in Hindi
मोहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती हैं साहब,
किसी गरीब को मिलती ही नहीं।
हम गरीब लोग है किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे ,
एक मुस्कराहट थी,
वह भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली।
ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,
चौखट एक बाप की ही सूनी होती है !!
गरीब भूख से मरे तो अमीर आहों से मर गए।
इनसे जो बच गए वो झूठे रिवाजों से मर गए।।
ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया
#2 - गरीबी मोटिवेशनल शायरी
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,
यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता.
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं ..
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है
कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा भिखारी।
एक सिक्के के बदले जो बीस किमती दुआ देता हैं
उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।
कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।
#3 - गरीब लव शायरी
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,
वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं
बात मरने की भी हो तो कोई तौर नहीं देखता,
गरीब, गरीबी के सिवा कोई दौर नहीं देखता।
मेरे हिस्से की रोटी सीधा मुझे दे दे ऐ खुदा,
तेरे बंदे तो बड़ा ज़लील करके देते हैं।
जब भी मुझे जियारत करनी होती है
मै गरीब लोगो में बैठ आता हूं
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ
और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा
#4 - गरीबी पर शायरी रेख़्ता
ऐ सियासत… तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया।
-
जनाजा बहुत भारी था उस गरीब का,
शायद सारे अरमान साथ लिए जा रहा था।
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब,
कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं
कभी जात कभी समाज तो कभी औकात ने लुटा,
इश्क़ किसी बदनसीब गरीब की आबरू हो जैसे।
#5 - मदद पर शायरी
गरीबी लड़तीं रही रात भर सर्द हवाओं से,
अमीरी बोली वाह क्या मौसम आया है।
-
कभी जात कभी समाज तो कभी औकात ने लुटा,
इश्क़ किसी बदनसीब गरीब की आबरू हो जैसे।
क्या किस्मत पाई है रोटीयो ने भी निवाला बनकर
रहिसो ने आधी फेंक दी,
गरीब ने आधी में जिंदगी गुज़ार दी
हम गरीब लोग है किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे
एक मुस्कराहट थी,
वह भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली
-
हमने कुछ ऐसे भी गरीब देखे हैं
जिनके पास पैसों के अलावा कुछ भी नहीं
#6 - गरीबी शायरी इमेज
कतार बहुत लम्बी थी इस लिए सुबह से रात हो गयी
ये दो वक़्त की रोटी आज फिर मेरा अधूरा ख्वाब हो गयी
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सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर
परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर
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अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है।
साथ सभी ने छोड़ दिया,
लेकिन ऐ-गरीबी,
तू इतनी वफ़ादार कैसे निकली।
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गरीबी की भी क्या खूब हँसी उड़ायी जाती है,
एक रोटी देकर 100 तस्वीर खिंचवाई जाती है।
#7 - गरीब दोस्त की शायरी
खुले आसमां के नीचे सोकर भी अच्छे सपने पा लेते है,
हम गरीब है साहेब थोड़े सब्जी में भी 4 रोटी खा लेते है।
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अमीरी का हिसाब तो दिल देख के कीजिये साहब
वरना गरीबी तो कपड़ो से ही झलक जाती है
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तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया
घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है
हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है
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गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका
#8 - Amiri Garibi Shayari in Hindi
फ़ेक रहे तुम खाना क्योंकि, आज रोटी थोड़ी सूखी है,
थोड़ी इज्ज़त से फेंकना साहेब, मेरी बेटी कल से भूखी है।
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हैरत की निगाहों से मूझे देखने वालो
हैरत की निगाहों से..मूझे देखने वालो,
लगता है तुम ने कभी समुदर नहीं देखा.
-
लगता था जहां में सबसे अमीर था।
जब तक तू करीब था।
आज तूने ये भ्रम भी तोड़ दिया।
मैं आज भी गरीब हूं, मैं तब भी गरीब था।।
ख्वाहिशें भी बड़ी महँगी है ,
ग़रीब के घर नही टिकती…
खैर आना अबकी बार तुम यादों में ,
मेरे ख़्वाबों में भेद नहीं है अमीर-गरीब का ।
-
वो राम की खिचड़ी भी खाता है
रहीम की खीर भी खाता है
वो भूखा है जनाब उसे
कहाँ मजहब समझ आता है
#9 - Garibi Love Shayari in Hindi
गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है
चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे
ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा
-
खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से
उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है
-
भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें
उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है
मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है
मैं क्या महोब्बत करूं किसी से, मैं तो गरीब हूँ
लोग अक्सर बिकते हैं, और खरीदना मेरे बस में नहीं
-
गरीबों के घर जो मेहमान आते है,
उनकी स्वागत में पलकें बिछायें जाते है.
#10 - Garibi Sad Shayari in Hindi
दौलत है फिर भी अमीर नहीं लगते हो,
क्योंकि आप गरीबों-सी सोच रखते हो.
-
सर्दी, गर्मी, बरसात और तूफ़ान मैं झेलता हूँ
गरीब हूँ… खुश होकर जिंदगी का हर खेल खेलता हूँ.
-
गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्यौहारों में,
तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में.
तुम रूठ गये थे जिस उम्र में खिलौना न पाकर,
वो ऊब गया था उस उम्र में पैसा कमा-कमा कर.
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अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है,
छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है.
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