सूफी शायरी | 1991+ Sufi Shayari in Hindi 2023
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#1 - Top Sufi Shayari in Hindi
तिरी चाहत के भीगे जंगलों में
मिरा तन मोर बन कर नाचता है
सुनो! एक तो मैं ‘सूफ़ी सा बन्दा’
और उस पर तुम एक ‘मासूम सी परी’…
उफ्फ्फफ ! कमबख्त ‘इश्क’ तो होना ही था हो गया
तुझ में घुल जाऊं मैं
नदियों के समन्दर की तरह,
और हो जाऊं अनजान
दुनिया में कलंदर की तरह।
क्या इल्जाम लगा ओगे मेरी आशिकी पर
हम तो सांस भी तुम्हारी यादों से पूछ कर लेते हैं
यूँ तो उसका जहाँ है
ला-मुक़ाम ‘एजाज़’ लेकिन,
बसता हैं वह खुदा
अपने बंदों के दिलों में सदा।
#2 - सूफी कोट्स इन हिंदी
जमीर ज़िंदा रख,
कबीर ज़िंदा रख,
सुल्तान भी बन जाए तो,
दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख..
तुम रक्स में डूबा हुआ कलंदर तो देख रहे हो,
तुम नहीं जानते लज्जते इश्के हकीकी क्या है?
सर झुकाने की खूबसूरती भी
क्या कमाल की होती है..
धरती पर सर रखो और दुआ
आसमान में कबूल हो जाती है..
पास रह कर मेरे मौला दे सज़ा जो चाहे मुझको,
तेरे वादे पूरे हों मेरी तलब भी करना पूरी।
होने दो तमाशा मेरी भी जिंदगी का..
मैंने भी बहुत तालिया बजाई है मेल में…
#3 - फकीरी शायरी
तेरे बाद कोई है ना तुझसे पहले ही,
अब बिछड़ के तुझसे मौला जाऊं भी कहां।
शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ पर खुदा नहीं
शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ पर खुदा नहीं
मैं अपने सैयाँ संग साँची
अब काहे की लाज सजनी परगट होवे नाची
दिवस भूख न चैन कबहिन नींद निसु नासी
लाख पर्दे झूठ के खींच दो ज़माने के सामने,
क्या कहोगे क़यामत के दिन ख़ुदा के सामने।
#4 - दरवेश पर शायरी
किस तरह छोड़ दूँ ऐ यार मैं चाहत तेरी
मेरे ईमान का हासिल है मोहब्बत तेरी
-
न ले हिज़्र का मुझसे तू इम्तिहां अब,
लगे जी ना मेरा तेरे इस दहर में।
पूछा मैं दर्द से कि बता तू सही मुझे
ऐ ख़ानुमाँ-ख़राब है तेरे भी घर कहीं
कहने लगा मकान-ए-मुअ’य्यन फ़क़ीर को
लाज़िम है क्या कि एक ही जागह हो हर कहीं
फीके पड जाते हैं दुनियाभर के
तमाम नज़ारे उस वक़्त,
सजदे में तेरे झुकता हूँ तो मुझे
जन्नत नज़र आती हैं।
जग में आ कर इधर उधर देखा
तू ही आया नज़र जिधर देखा
#5 - रूहानी शायरी
छूकर भी जिसे छू ना सके
वो चाहत है (इश्क़)
कर दे फना जो रूह को
वो इबादत है (इश्क़)
-
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है…
सदगरी नहीं ये इबादत खुदा की है
ओ बेखबर जाजा की तमन्ना भी चोर दे
मोहब्बते मेहरबान मुर्शीद मेरे तू आजा,
के अब हम सबक वफा का भूलने लगे।
-
न अपनी रूह पर पकड़, न धन दौलत चली संग,
न दीन दुनिया अपनी हुई, न ढूंढ पाये हरी रंग
किस बात का वहम, किस बात का अहंकार
किस बात की कि मैं मेरी, किस बात की थी जंग
#6 - सजदा शायरी इन हिंदी
इबाब की सूरत हो के अघ्यार की सूरत
हर जगह में आती है नजर यार की सूरत
-
इश्क़ में आराम हराम है,
इश्क़ में सूफ़ी के सुल्फ़े की
तरह हर वक़्त जलनाहोता हैं,
-
हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा ओ दिल फ़र्श-ए-राह
कोई मुझ को ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या
जाने कैसे जीतें हैं वो जो कभी तेरे सीने से लगे हैं,
मेरे साकी, हम तो नैन लड़ाकर ही बेसुध से पड़े हैं।
-
दुनिया में तेरे इश्क़ का चर्चा ना करेंगे,
मर जायेंगे लेकिन तुझे रुस्वा ना करेंगे,
गुस्ताख़ निगाहों से अगर तुमको गिला है,
हम दूर से भी अब तुम्हें देखा ना करेंगे।
#7 - इबादत शायरी हिंदी
जरा करीब से गुजरा तो हमने पहचाना
वो अजनबी भी कोई आशना पुराण था.
-
तेरी आरजू में हो जाऊं ऐसे मस्त मलंग,
बेफिक्र हो जाऊं दुनिया से किनारा करके।
-
एक ऐसी रात भी है
जो कभी नहीं सोती ये सुन कर
सो न सका रात भर नमाज़ पढ़ी हमने
परिंदा आज मुझे शर्मिंदा गुफ़्तार न करे
ऊंचा मेरी आवाज़ को कोई दीवार न करे.
-
अतीत के गर्त में भविष्य
तलाश करना एक बेवकूफी है,
जो वर्तमान में रहकर भविष्य
संवारे, वो सच्चा सूफी है।
#8 - इस्लामिक शायरी इन हिंदी
हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ‘ग़ालिब’
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबाँ होना
-
एक दिन कबर में होगा ठिकाना याद रख
आएगा ऐसा भी एक जमाना याद रख.
-
तलब मौत की क्यूं करना गुनाह ए कबीरा है,
मरने का शोंक है तो इश्क़ क्यों नहीं करते।
मंजिलो की खबर खुदा जाने ,
इश्क़ है रहनुमा फ़कीरो का
-
पोछा था मैं ने दर्द से की बता तू सही मुझको
ये खनुमान ख़राब है तेरे भी घर कही
#9 - खुदा की रहमत पर शायरी
तेरी आवाज है कि सूफी का कोई नग्मा है,
जिसे सुनूँ तो सुकूँ जन्नतों सा मिलता है।
-
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं ,
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
-
उसने किया था याद हमे भूल कर कही
पता नहीं है तबसे अपनी खबर कही
सारे ऐब देखकर भी मुर्शीद को तरस है आया,
हाय! किस मोम से खुदा ने उनका दिल है बनाया।
-
सोचता हूँ कि अब अंजाम-इ-सफर क्या होगा,
लोग भी कांच के हैं, राह भी पथरीली है..
#10 - इस्लामिक सूफी शायरी इन हिंदी
इंसान लोगो को किया दे गा
जो भी देगा मेरा खुदा ही देगा
मेरा क़ातिल ही मेरे मुनसिब है
किया मेरे हक़ में फैसला देगा
-
आज फिर जो मुर्शीद को याद किया,
यूं लगा जैसे दिल के आईने को साफ किया।
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और किया इल्जाम लगाओगे हमारी आशिक़ी पर
हम तो साँस भी आपके यादो से पॉच के लेते है.
जाम हाथ में हो और होंठ सूखे हुये,
मुआफ करना यारो इतने सूफी हम नहीं हुये।
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चुप – चाप बैठे है,
आज सपने मेरे लगता है
हकीकत ने सबक सिखाया है…
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