गीता सार हिंदी में | 101+ Best Quotes From Bhagawad Geeta in Hindi
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#1 - Top 10 गीता सार हिंदी में (Bhagawad Geeta Quotes in Hindi)
हे अर्जुन! मैं ही गर्मी प्रदान करता हूँ और बारिश को लाता और रोकता हूँ। मैं अमर हूँ और साक्षात् मृत्यु भी हूँ। आत्मा तथा पदार्थ दोनों मुझ ही में हैं।
जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते, वे मुझे पा नहीं सकते। अतः वे इस दुनिया में जन्म-मृत्यु के रास्ते पर वापस आते रहते हैं।
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म भी निश्चित है।
प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति को क्रोध और लोभ त्याग देना चाहिए क्योंकि इससे आत्मा का पतन होता है।
हे अर्जुन! क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
#2 - गीता सार इन हिंदी Pdf
जो सब प्राणियों के दुख-सुख को अपने दुख-सुख के समान समझता है और सबको समभाव से देखता है, वही श्रेष्ठ योगी है।
जो लोग ह्रदय को नियंत्रित नही करते है, उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है।
जो व्यक्ति निरन्तर और अविचलित भाव से भगवान के रूप में मेरा स्मरण करता है। वह मुझको अवश्य ही पा लेता है।
हे अर्जुन! श्रीभगवान होने के नाते मैं जो कुछ भूतकाल में घटित हो चुका है, जो वर्तमान में घटित हो रहा है और जो आगे होने वाला है, वह सब कुछ जानता हूँ। मैं समस्त जीवों को भी जानता हूँ, किन्तु मुझे कोई नहीं जानता।
अनेक जन्म के बाद जिसे सचमुच ज्ञान होता है, वह मुझको समस्त कारणों का कारण जानकर मेरी शरण में आता है। ऐसा महात्मा अत्यंत दुर्लभ होता है।
#3 - श्रीमद भगवद गीता इन हिंदी
हे कुन्तीपुत्र! मैं जल का स्वाद हूँ, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ, वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ, आकाश में ध्वनि हूँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूँ।
डर धारण करने से भविष्य के दुख का निवारण नहीं होता है। डर केवल आने वाले दुख की कल्पना ही है।
निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है किन्तु मर्यादा मनुष्य का मन ही निर्मित करता है।
हे अर्जुन! धन और स्त्री सब नाश रूप है। मेरी भक्ति का नाश नहीं है।
हे पार्थ! जिस भाव से सारे लोग मेरी शरण ग्रहण करते है, उसी के अनुरूप मैं उन्हें फल देता हूँ।
#4 - संपूर्ण भागवत गीता सार
हे अर्जुन! जो मेरे आविर्भाव के सत्य को समझ लेता है, वह इस शरीर को छोड़ने पर इस भौतिक संसार में पुनर्जन्म नहीं लेता, अपितु मेरे धाम को प्राप्त होता है।
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हे अर्जुन! मैं वह काम हूँ, जो धर्म के विरुद्ध नहीं है।
जो लोग निरंतर भाव से मेरी पूजा करते है, उनकी जो आवश्यकताएँ होती है, उन्हें मैं पूरा करता हूँ और जो कुछ उनके पास है, उसकी रक्षा करता हूँ।
भक्तों का उद्धार करने, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ।
जब भी और जहाँ भी अधर्म बढ़ेगा। तब मैं धर्म की स्थापना हेतु, अवतार लेता रहूँगा।
#5 - भगवत गीता का ज्ञान हिंदी में
मैं ही लक्ष्य, पालनकर्ता, स्वामी, साक्षी, धाम, शरणस्थली तथा अत्यंत प्रिय मित्र हूँ। मैं सृष्टि तथा ब्रह्माण्ड, सबका आधार, आश्रय तथा अविनाशी बीज भी हूँ।
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जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मन सबसे अच्छा मित्र है, लेकिन जो ऐसा नहीं कर पाया उसके लिए मन सबसे बड़ा दुश्मन बना रहेगा।
अगर कोई प्रेम और भक्ति के साथ मुझे पत्र, फूल, फल या जल प्रदान करता है, तो मैं उसे स्वीकार करता हूँ।
जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।
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मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।
#6 - Bhagwat Geeta Saar In Hindi
मनुष्य जो चाहे बन सकता है, अगर वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें तो।
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जो मनुष्य अपने कर्मफल प्रति निश्चिंत है और जो अपने कर्तव्य का पालन करता है, वहीं असली योगी है।
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जो पुरुष न तो कर्मफल की इच्छा करता है, और न कर्मफलों से घृणा करता है, वह संन्यासी जाना जाता है।
हे अर्जुन! जो बुद्धि धर्म तथा अधर्म, करणीय तथा अकरणीय कर्म में भेद नहीं कर पाती, वह राजा के योग्य है।
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यज्ञ, दान और तपस्या के कर्मों को कभी त्यागना नहीं चाहिए, उन्हें हमेशा सम्पत्र करना चाहिए।
#7 - गीता सार जो हुआ अच्छा हुआ
अपने अपने कर्म के गुणों का पालन करते हुए प्रत्येक व्यक्ति सिद्ध हो सकता है।
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गुरु दीक्षा बिना प्राणी के सब कर्म निष्फल होते है।
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जो मनुष्य कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखता है, वह सभी मनुष्यों में बुद्धिमान है और सब प्रकार के कर्मों में प्रवृत्त रहकर भी दिव्य स्थिति में रहता है।
फल की लालसा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।
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कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
#8 - भगवत गीता का ज्ञान हिंदी में Pdf
जो कर्म को फल के लिए करता है, वास्तव में ना उसे फल मिलता है, ना ही वो कर्म है।
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हे अर्जुन! तुम्हारे तथा मेरे अनेक जन्म हो चुके है। मुझे तो वो सब जन्म याद है लेकिन तुम्हे नहीं।
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जिस प्रकार मनुष्य पुराने कपड़ो को त्याग कर नये कपड़े धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नया भौतिक शरीर धारण करता है।
हे अर्जुन! जो पुरुष सुख तथा दुख में विचलित नहीं होता और इन दोनों में समभाव रहता है, वह निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य है।
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खुद को जीवन के योग्य बनाना ही सफलता और सुख का एक मात्र मार्ग है।
#9 - गीता सार इन हिंदी
जीवन ना तो भविष्य में है ना अतीत में, जीवन तो इस क्षण में है।
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हे अर्जुन! जो जीवन के मूल्य को जानता हो। इससे उच्चलोक की नहीं अपितु अपयश प्राप्ति होती है।
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जो विद्वान् होते है, वो न तो जीवन के लिए और न ही मृत के लिए शोक करते है।
जो महापुरुष मन की सब इच्छाओं को त्याग देता है और अपने आप ही में प्रसन रहता है, उसको निश्छल बुद्धि कहते है।
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मैं हर जीव के ह्रदय में परमात्मा स्वरुप स्थित हूँ। जैसे ही कोई किसी देवता की पूजा करने की इच्छा करता है, मैं उसकी श्रद्धा को स्थिर करता हूँ, जिससे वह उसी विशेष देवता की भक्ति कर सके।
#10 - भगवत गीता की 18 ज्ञान की बातें
जो मुझे सब जगह देखता है और सब कुछ मुझमें देकता है उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।
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हे अर्जुन! जो बहुत खाता है या कम खाता है, जो ज्यादा सोता है या कम सोता है, वह कभी भी योगी नहीं बन सकता।
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हे अर्जुन! परमेश्वर प्रत्येक जीव के हृदय में स्थित है।
भगवद गीता के अनुसार नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।
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ईश्वर, ब्राह्मणों, गुरु, माता-पिता जैसे गुरुजनों की पूजा करना तथा पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा ही शारीरिक तपस्या है।
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