सद्गुरु के अनमोल विचार | 101+ Best Sadhguru Quotes Thoughts in Hindi
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#1 - Top 10 Sadhguru Quotes in Hindi
अगर आप अपने विचारों को पूरे अखिल ब्रह्माण्ड के सन्दर्भ में देखते हैं तो उनका कोई सार्थक अर्थ नहीं होता हैं. यदि आप इस बात को महसूस कर लेते हैं तो, स्वाभाविक रूप से आप खुद के विचारों से एक दूरी बना लेंगे.
यौवन, जबरदस्त उर्जा का दौर होता हैं. इसलिए इसको एक संभावना की तरह देखना चाहिए, न एक समस्या की तरह.
पूरी सजगतापूर्वक, जिम्मेदार के साथ बर्ताव करना – इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं.
एक बार जब आप जीवन के सभी रूपों को अपने एक हिस्से के रूपमे अनुभव कर लेते हैं, तो आप अपने आस पास की हर चीज के साथ प्रेम में पड़े बिना नहीं रह सकते.
आप जो भी करते हैं बस इतना जरूर चेक करे – क्या ये पूरी तरह से आपके बारे में हैं, या सबकी भलाई के लिए हैं. यह अच्छे और बुरे कर्मो के बारे में आपके सरे भ्रम दूर कर देगा.
#2 - Sadhguru Shayari in Hindi
चाहे वो खुशी हो या नाख़ुशी, दर्द हो या सुख, पीड़ा हो या आनंद, वो मूल रूप से अपने भीतर होता हैं.
अगर आप जागृत अवस्था से नींद में जागरूकता पूर्वक जा सकते हैं, तो आप जीवन में मृत्यु में भी जागरूकता पूर्वक जा पाएंगे.
आपके जीवन में खासकर अप्रिय चीजें हुई हैं, तो आपको आहत नहीं, समझदार होना चाहिए.
जब आपके अन्दर लचीलापन होता हैं, तो आप सुनने को तैयार होते हैं. दुसरो की सिर्फ बाते ही नहीं – आप जीवन को सुनने को तैयार होते हैं.
आपके सपने सच न हो, आपकी आशाएं पूरी न हो, क्योंकि ये सब उसके द्वारा तय होता हैं, जो आप अभी तक नहीं जानते हैं. आपको उन संभावनाओ की तलाश करनी चाहिए, जिन तक आप पहुँच नहीं पाए हैं. जिनको पहले आपने कभी अनुभव नहीं किया हैं.
#3 - Sadhguru Status in Hindi
जब आप प्रत्येक चीज को स्वयं के एक हिस्से के रूप में अनुभव करते हैं, तब आप योग की स्थिति में होते हैं. वहीँ मुक्ति हैं, और वही परम आज़ादी हैं.
जब आप हिसाब लगाने लगते हैं, मन में तनाव और संघर्ष होता हैं. पर जब आप देते हैं, तो उसमे आनंद होता हैं.
जब आप स्वयं को वैसा बना लेते हैं, जैसा आप चाहते हैं, तब आप आपके भाग्य को भी ठीक वैसा ही गढ़ सकते हैं, जिस तरह आप चाहते हैं.
आपको अभी जो भी करना हैं, उसे आप पूरी भागीदारी और जिम्मेदारी के साथ कीजिये. क्योंकि तभी आप खुद के सचेतन होने की मिठास को जान पाएंगे.
हर इन्सान स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की आकांशा रखता हैं, मूल रूप से असकी स्वास्थ्य का मतलब हैं – प्रकृति के साथ तालमेल में होना. आतंरिक और बाहरी प्रकृति, दोनों के साथ.
#4 - सदगुरु के मनोबल बढ़ाने वाले विचार
जाति, धर्म और रास्ट्रीयता को लेकर, आपकी जो सिमित पहचान हैं, वो विवाद और हिंसा को बढ़ावा देती हैं.
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अगर परिस्तिथिया यह तय नहीं करती की आप कौन हैं, बल्कि आप तय करते हैं कि परिस्तिथी कैसी हो – तो यहीं सफलता हैं.
पूरी तरह से शामिल होना, पर उलझना नहीं – यही चैतन्य का गुण हैं.अगर आप यह गुण बनाये रखते हैं तो परम मुक्ति एक स्वाभाविक क्रिया बन जाएगी.
अगर आप हर दिन अपनी एक सीमा तोड़ते हैं तो आप एक दिन मुक्त हो जायेंगे. आपको कितना समय लगता हैं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आपकी कितनी सीमाएं हैं.
आनंदित व उल्लासित होना, सृष्टि और सृष्टिकर्ता की प्रकृति हैं. अगर आप उनके साथ तालमेल में हैं.तो निश्चित ही आप स्वाभाविक रूप से हर्षित व उल्लासित होंगे.
#5 - सदगुरु के अनमोल वचन
अगर आप शरीर, मन, भावनाओं और उर्जा के साधनों को अपनी इच्छानुसार इस्तेमाल करना सीख जाते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से बहुत असरदार इंसान बन जायेंगे.
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अगर आप अंतिम पल तक आनंदपूर्वक जीते हैं, तो आपको मृत्यु की चिंता करने की जरुरत नहीं हैं
जानने और ज्ञान बढ़ाने के लिए विज्ञान बस एक अनुसन्धान(research) होना चाहिए. न कि इसे बेलगाम शोषण व् अति-दोहन का साधन बनाना चाहिए.
हर चीज के साथ एकाकार के आनंद को वो इन्सान कभी नहीं जान पाएगा, जो किसी न किसी चीज के साथ उलझा रहता हैं.
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अगर आप जीवन की गहरी अंतदृष्टि पाना चाहते हैं तो आपके बारे म दुसरों की क्या राय हैं. इसके आपके लिए कोई मायने नहीं होना चाहिए.
#6 - ईशा के विचार
प्रेम किसी दुसरे के बारे में नहीं होता. प्रेम कोई कार्य नहीं हैं. प्रेम आपके होने का तरीका हैं.
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अगर आपके पास देखने की दृष्टि हैं, अगर आपमें अपने भीतर और बाहर जीवन को महसूस करने की संवेदनशीलता हैं, तो हर चीज एक चमत्कार लगेगी.
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यह शरीर पञ्च तत्वों से मिलकर बना हुआ हैं – वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश. आपके जीवन की गुणवत्ता मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करती हैं कि आपके भीतर ये पांच तत्व कितने शानदार हैं.
जीवन का आपका अनुभव कितना गहन हैं, और आप जो करते हैं उसमे आप कितने असरदार हैं – जीवन में बस इतना ही वाकई में मायने रखता हैं.
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जो लोग अपने शरीर, मन उर्जा को सचेतन और कुशलतापूर्वक इस्तेमाल करना नहीं सीखते, वो हमेशा सोचेंगे की दुनिया में बहुत अन्याय हैं.
#7 - सतगुरु शायरी इन हिंदी
मानव समाजों को सभ्य बनाने का मतलब यह सुनिश्चित करना हैं की हर इन्सान, बिना किसी दुसरे के दखलअंदाजी के, अपनी पूर्ण अभिव्यक्ति पा सकता हैं.
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शब्द और उनके अर्थ सिर्फ इन्सान के दिमाग में मौजूद होते हैं, पर ध्वनी की मौजूदगी अस्तित्व के स्तर पर हैं.शब्द और उनके अर्थ सिर्फ इन्सान के दिमाग में मौजूद होते हैं, पर ध्वनी की मौजूदगी अस्तित्व के स्तर पर हैं.
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एक इन्सान के रूप में, आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि जीवन आपको कहाँ ले जायेगा. आपको सिर्फ ये सोचना चाहिए की आप उसे कहाँ ले जाना चाहते हैं.
तनाव किसी खास परिस्थिति के कारण नहीं देता – ये आपके खुद के सिस्टम को न संभाल पाने के कारण होता हैं.
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जीवन की सुन्दरता और भव्यता को सिर्फ वही जनता हैं जो हर चीज के साथ पूरी तरह से शामिल होता हैं.
#8 - सद्गुरु जग्गी वासुदेव के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार
जब आप अपनी नश्वर प्रकृति का सामना करते हैं, सिर्फ तभी इससे परे जाने की लालसा एक वास्तविक शक्ति का रूप ले लेती हैं. वरना, आध्यात्मिक प्रक्रिया सिर्फ एक मनोरंजन हैं.
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निश्चलता और शांति ही ब्रह्माण्ड का सार तत्व हैं. अगर आप इसे छु लेते हैं, तो आपकी हर चीज रूपांतरित हो जाएगी.
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अगर आप अपने शरीर, मन और भावनाओं में वैसा वातावरण बना सकते हैं जैसा आप चाहते हैं, तो आपको अपनी सेहत आनंद और खुशहाली के बारें में नहीं सोचना होगा.
आप सत्य के खोजी हैं. इसका अर्थ हैं कि जिस चीज को आप नहीं जानते, उनके बारे में आप कोई कल्पना करने(मिथ्या) या धारणा बनाने से इंकार(मना) कर देते हैं.
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जीवन कोई नाटक या खेल नहीं हैं, जो आपके आस पास हो रहा हैं, वही जीवन का मूल आयाम हैं, वहीँ आप हैं.
#9 - ध्यान पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के सूत्र
हर इन्सान के कल्याण से बढ़कर लोग अपने तुच्छ सुखों पर ज्यादा ध्यान देते हैं. दुनिया में हमें इस चीज को बदलना हैं.
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आप कितने सफल हैं,यह वास्तव में इस पर निर्भर करता हैं कि आप अपने शरीर और मन को कितने अच्छे तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं.
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योग में होने का अर्थ हैं अस्तित्व के एकत्व को अनुभव करना.
जो व्यक्ति अस्तित्व की सम्पूर्णता को सुनता हैं, उसके लिए हर चीज संगीत हैं.
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बुद्धि जो याददाश्त के आधार पर काम करती हैं, वह एक शानदार और अलौकिक साधन हैं. लेकिन यह केवल जानकारी से हासिल हो सकती हैं, यह रूपांतरित नहीं हो सकती.
#10 - Quotes In Hindi About Self-Realization By Sadhguru
अधूरापन और अपूर्णता की भावना ही जलन और इर्ष्या की बुनियादी प्रकृति हैं. अगर आप वाकई आनंद में हैं, तो आपको किसी से कोई इर्ष्या नहीं होगीं
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अगर आप सांत्वना चाहते हैं, तो मान्यता व विश्वास की प्रणालियाँ ठीक हैं. लेकिन अगर आप समाधान चाहते हैं तो आपको ढूढना व खोजना होगा.
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ये मत सोचो कि आपका पैसा, रिश्ते, या परिवार आपके लिए को बीमाँ हैं. बल्कि यह जानना की स्वयं को सभी स्तरों पर अच्छे से कैसे रखे, आपके लिए सिर्फ यहीं बिमा हैं और यहीं योग हैं.
भौतिकता से परे जाने में ही रूपांतरण हैं.जहाँ पर आप अभी हैं, वहां से जब आप सतत ऊपर उठते रहते हैं, तो एक दिन आप बहुत गहराई में रूपांतरित हो जायेंगे.
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अचेतन की स्थिति से ही भय पैदा होता हैं. भयभीत होकर आप खुद को सुरक्षित नहीं रख सकते. केवल सचेतन होकर ही हालातों को नियंत्रित किया सकता हैं.
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